कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने नौकरी छोड़ी, भाजपा के टिकट पर कन्नौज से लड़ेंगे चुनाव
कानपुर : विधानसभा चुनाव की अधिसूचना से पहले कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने नौकरी छोड़ दी। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है। वह भाजपा के टिकट पर कन्नौज से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। असीम अरुण मूलरूप से कन्नौज के ही रहने वाले हैं। उनके पिता स्व. श्रीराम अरुण उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे हैं।
यूपी आईपीएस अफसरों में असीम अरुण की तेजतर्रार अफसरों में गिनती होती है। वह एटीएस के आईजी रह चुके हैं। लखनऊ में आतंकी सैफुल्लाह के एनकाउंटर में अहम भूमिका रही। कई आतंकी साजिश का खुलासा किया। एडीजी पद पर प्रमोट होने के बाद कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर बनाए गए थे।
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक तीन दिन पहले उन्होंने शासन को वीआरएस के लिए अर्जी दी थी। शनिवार को अर्जी स्वीकृत होने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इसके बाद फेसबुक पर एक भावनात्मक मैसेज पोस्ट किया, जो मिनटों में वायरल होने लगा।
फेसबुक पर साझा किया संदेश
प्रिय मित्रों,
आपको यह अवगत कराना चाहता हूं कि मैंने वीआरएस (ऐच्छिक सेवानिवृत्ति )के लिए आवेदन किया है क्योंकि अब राष्ट्र और समाज की सेवा एक नए रूप में करना चाहता हूं। मैं बहुत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं कि माननीय योगी आदित्यनाथ जी ने मुझे भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता के योग्य समझा।
मैं प्रयास करूंगा कि पुलिस बलों के संगठन के अनुभव और सिस्टम विकसित करने के कौशल से पार्टी को अपनी सेवाएं दूं और पार्टी में विविध अनुभव के व्यक्तियों को शामिल करने की माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल को सार्थक बनाऊं। मैं प्रयास करूंगा की महात्मा गांधी द्वारा दिए ”तिलस्म” कि सबसे कमजोर और गरीब व्यक्ति के हितार्थ हमेशा कार्य करूं। आईपीएस की नौकरी और अब यह सम्मान, सब बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ”अवसर की समानता” के लिए रचित व्यवस्था के कारण ही सम्भव है।
मैं उनके उच्च आदर्शों का अनुसरण करते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति एवं सभी वर्गों के भाइयों और बहनों के सम्मान, सुरक्षा और उत्थान के लिए कार्य करूंगा। मैं समझता हूं कि यह सम्मान मुझे मेरे पिता जी स्व. श्रीराम अरुण जी एवं माता जी स्व. शशि अरुण जी के पुण्य कर्मों के प्रताप के कारण ही मिल रहा है।
उनकी पुण्य आत्माओं को शत शत नमन। असीम अरुण ने नौकरी छोड़ने के बाद कहा, केवल एक ही कष्ट है। अपनी अलमारी के सबसे सुंदर वस्त्र अपनी वर्दी को अब नहीं पहन सकूंगा। अपने साथियों से विदा लेते हुए मैं वचन देता हूं वर्दी के सम्मान के लिए हमेशा, सबसे आगे, मैं खड़ा मिलूंगा। आपको मेरी ओर से एक जोरदार सैल्यूट।
जय हिंद