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सीएम आवास के बाहर तोड़फोड़: सुरक्षा पर रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सीएम सचिवालय के साथ साझा करें, HC का दिल्ली पुलिस को आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर सुरक्षा इंतजाम के संबंध में दाखिल की गई दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में मुख्यमंत्री सचिवालय को दी जाए। मुख्यमंत्री केजरीवाल के आधिकारिक आवास के बाहर मार्च में तोड़फोड़ की घटना हुई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्त की बेंच ने कहा कि चूंकि स्टेटस रिपोर्ट मुख्यमंत्री की सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए वह पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं करना चाहेगी। साथ ही अदालत ने इसे याचिकाकर्ता एवं ‘आप’ विधायक सौरभ भारद्वाज के साथ भी साझा करने से इनकार कर दिया।

बेंच ने कहा कि यह मुख्यमंत्री के आवास की सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित है। उसकी सुरक्षा के पहलुओं को देखते हुए हम इसे याचिकाकर्ता के साथ साझा करने को इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, हम स्टेटस रिपोर्ट की एक कॉपी सीलबंद लिफाफे में मुख्यमंत्री सचिवालय को देने का निर्देश देते हैं।

रिपोर्ट के एक खास हिस्से को हटाने की मांग ठुकराई

बेंच ने रिपोर्ट को मुख्यमंत्री सचिवालय से साझा करने से पहले, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन के उस अनुरोध को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें रिपोर्ट के एक खास हिस्से को हटाने की मांग की गई थी।

रिपोर्ट का यह हिस्सा दिल्ली पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच से संबद्ध है, जो सुरक्षा में चूक के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार हैं।बेंच ने कहा कि पूरा मुद्दा खामियों से संबंधित है।

चूक के बारे में कोई भी इनकार नहीं कर सकता। ऐसी खामियां थीं जिन्हें हमने खुद देखा है। इसलिए अनुशासनात्मक कार्रवाई का मुद्दा भी दिया जाना चाहिए। आप कुछ भी नहीं हटाएंगे। पूरी रिपोर्ट दें।

सौरभ भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई कर रहा हाईकोर्ट

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को घटना के बाद दर्ज एफआईआर में अपनी जांच की प्रगति का विवरण देते हुए एक और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया। अदालत कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर केजरीवाल की टिप्पणी के विरोध में 30 मार्च को प्रदर्शन के दौरान उनके आवास के बाहर तोड़फोड़ की घटना के बारे में सौरभ भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) से संबद्ध बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री आवास के प्रवेश द्वार तक पहुंचने के लिए अवरोधक कथित तौर पर तोड़ दिए थे और पुलिस की मौजूदगी में सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर दिया था।

पुलिस जल्द चार्जशीट फाइल करेगी

सुनवाई के दौरान, पुलिस उपायुक्त (उत्तर) ने अदालत को सूचित किया कि मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था और वे 14 दिनों तक हिरासत में रहे और बाद में उन्हें अदालत ने जमानत दे दी। उन्होंने यह भी कहा कि 20 और व्यक्तियों को नोटिस जारी किए गए हैं और पुलिस जल्द ही संबंधित अदालत के समक्ष मामले में आरोपपत्र दाखिल करेगी।

अदालत को सौंपी गई अपनी ताजा स्टेटस रिपोर्ट में पुलिस ने यहां मुख्यमंत्री आवास के आसपास सुरक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए उठाए गए कदमों और चूक के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र के निवासियों ने सड़क के दोनों ओर दो गेट लगाने पर सहमति जताई है और सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन के पास किसी भी सभा या विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

प्रदर्शनकारियों को उकसाने वालों पर कार्रवाई की मांग

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने अदालत से स्टेटस रिपोर्ट उनके साथ साझा करने का आग्रह किया क्योंकि वे मामले में सहायता करना चाहते है। हालांकि, बेंच ने इस समय अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।

मेहरा ने दलील दी कि विरोध का नेतृत्व भाजपा के एक नेता ने किया और सवाल किया कि क्या पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी किया है और क्या प्रदर्शनकारियों को उकसाने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है।

पुलिस ने पहले अदालत को सूचित किया था कि अधिक सशस्त्र कर्मियों की तैनाती के साथ मुख्यमंत्री आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इससे पहले, हाईकोर्ट ने इसे ”बहुत परेशान करने वाली स्थिति” करार दिया था और मुख्यमंत्री आवास के पास तोड़फोड़ की घटना को रोकने के लिए पुलिस की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की थी तथा दिल्ली पुलिस कमिश्नर को गंभीर चूक के लिए जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया था।

भारद्वाज ने वकील भरत गुप्ता के माध्यम से दायर अपनी याचिका में हमले की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन की मांग की थी और दलील दी थी कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर मुख्यमंत्री की टिप्पणी के विरोध में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के बाहर तोड़फोड़ की घटना दिल्ली पुलिस की मिलीभगत से अंजाम दी गई प्रतीत होती है।

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