विकासखंड अकबरपुर की ग्राम पंचायत सिसवा के प्रधान और एपीओ की मिलीभगत से मनरेगा के ऑनलाइन सिस्टम में फर्जीवाड़ा कर लाखों का घोटाला
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शिकायत की जांच में खुलासा फिर भी अधिकारी ने ऑनलाइन कर दिया निस्तारण
अंबेडकरनगर. विकासखंड अकबरपुर के रामपुर सकरवारी सिसवां गांव में मनरेगा मजदूरी में खूब भ्रष्टाचार हुआ है।घोटाले को पूरी प्लानिंग के साथ इस तरह से अंजाम दिया गया कि किसी को शक ही नहीं हुआ। शिकायत कर्ता ने जब योजना में सबसे ज्यादा काम करवाने वाले गांवों के दस्तावेजों और मनरेगा की वेबसाइट पर हुई ऑनलाइन एंट्री और संबंधित दस्तावेजों की जांच की, तो होश उड़ गए।
शिकायत होने पर अधिकारियों ने स्थलीय सत्यापन करने के बजाय फोन पर वार्ता कर क्लीन चिट दे दी है। सम्बन्धित अधिकारी अपनी गर्दन बचाने में इसे अंतरिम जांच आख्या बताकर साक्ष्यों के मिलने पर विस्तृत जांच आख्या दोबारा देने का एक रास्ता खुला रखा है। शिकायत कर्ता अंकुर उपाध्याय ने दोबारा साक्ष्य दिया तो, शपथपत्र पर दिए गए फर्जी बयान भी बेपर्दा हो गए।
यहां ग्राम प्रधान पर उनके सगे भाई अशर्फीलाल गुप्त को मनरेगा में मजदूरी का भुगतान करने का आरोप लगा था। देवेंद्र सिंह का नाम भी फर्जी तरीके से भरकर भुगतान किया गया। अस्तित्व विहीन फर्म के नाम पर सामान खरीद का भी भुगतान हुआ। प्रधानमंत्री आवास अधूरे होने के बाद भी फर्जी रिपोर्ट लगाकर संपूर्ण किस्त व मनरेगा से मजदूरी का भुगतान किया गया है।
इन गंभीर शिकायतों का स्थलीय सत्यापन के बजाय फोन पर वार्ता कर लगाई गई फर्जी आख्या को रोजगार सेवक एवं ग्राम प्रधान से बयान लेकर अधिकारियों ने निस्तारित कर दिया है। जेई और ब्लाक के एपीओ ने जांच में कहा कि देवेंद्र सिंह के नाम से कोई भुगतान नहीं किया गया है।उपायुक्त श्रम रोजगार ने भी। डीएम को भी उसी आधार पर रिपोर्ट सौंप दी। इसके साथ आनलाइन शिकायत निस्तारित हो गई।
अब मनरेगा की वेबसाइट पर आनलाइन दर्ज विवरण को साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत करते हुए शिकायतकर्ता ने साबित किया कि प्रधान के भाई अशर्फीलाल को मनरेगा में काम देकर करीब नौ हजार रुपये मजदूरी भुगतान की गई है। देवेंद्र सिंह को भी करीब साढ़े चार हजार रुपये मजदूरी मनरेगा से मिली है। मनरेगा के ऑनलाइन सिस्टम में छेड़खानी कर फर्जीवाड़े का प्रदेश का यह अपनी तरह का पहला मामला नहीं है। उपायुक्त आरपी मिश्र ने बताया कि साक्ष्यों के आधार पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।