ये ओडिशा पुलिस है! पत्रकार की पहले पिटाई, फिर पैर को लोहे की जंजीर से बांधा

ओडिशा के बालासोर जिले में पुलिस द्वारा एक स्थानीय पत्रकार को अस्पताल के बिस्तर पर लोहे की जंजीर से बांधने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस घटना के बाद ओडिशा में मीडिया बिरादरी में कोहराम मच गया है और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है. द टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित पत्रकार का नाम लोकनाथ दलाई है. कहा जा रहा है कि लोकनाथ की नीलगिरी पुलिस स्टेशन में पुलिसकर्मियों से हाथापाई हो गई थी. इसके बाद घायल दलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि दलाई को अपमानित करने के इरादे से अस्पताल में इलाज के दौरान जानबूझकर उनके एक पैर को लोहे की जंजीर से बांध दिया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दलाई अपनी मोटरसाइकिल से घर जा रहे थे, तभी उनकी गाड़ी होमगार्ड निरंजन राणा की मोटरसाइकिल से टकरा गई. हादसे के बाद दोनों के बीच मारपीट हो गई. हालांकि स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप से मामला शांत हो गया. लेकिन होमगार्ड राणा ने बाद में घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई.
निरंजन राणाने कहा “मैं पुलिस की पोशाक में था. हादसे के बाद दलाई ने मुझे थप्पड़ मारा था. यहां तक कि उन्होंने मेरे खिलाफ गंदी भाषा का इस्तेमाल किया और मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी. हालांकि स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया. दलाई के कृत्य से मैं अपमानित महसूस कर रहा था लिहाजा मैंने प्राथमिकी दर्ज करने का फैसला किया.”
दलाई की रिपोर्टिंग से है स्थानीय प्रशासन में नाराजगी!
मगर ऐसा कहा जा रहा है कि नीलगिरी प्रशासन दलाई से नाराज था, क्योंकि वह जिले में उप-मंडल स्तर पर कई मुद्दों को उठा रहे थे. लिहाजा दलाई को सबक सिखाने का मौका उन्हें मिल गया. दलाई का कहना है, ‘बुधवार को, पुलिस ने मुझे बुलाया और मैं पुलिस स्टेशन गया. मैंने पहले सोचा था कि समझौता कर लिया जाएगा. पुलिस ने मुझे पांच घंटे बैठाया. जब मैंने अपने दोस्तों से संपर्क करने की कोशिश की, तो स्थानीय पुलिस अधिकारी ने मुझे पीटा और मैं गिर गया. मैं लगभग बेहोश हो गया था. बाद में बुधवार शाम को, मुझे बालासोर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जो नीलगिरि से लगभग 20 किमी दूर है.’
सात गार्ड बंदूक सहित दे रहे पहरा
दलाई ने कहा, ‘यहां करीब सात गार्ड बंदूक लेकर मुझ पर नजर रख रहे हैं. गुरुवार की सुबह दो सिपाही आए और मेरे पैर में लोहे की बेड़ियां डाल दीं जैसे कि मैं अस्पताल से भाग जाऊंगा.’ दलाई ने यह भी स्पष्ट किया था कि उनके खिलाफ स्थानीय पुलिस थाने में कोई आपराधिक मामला नहीं था और स्थानीय मुद्दों पर उनकी रिपोर्टिंग के खिलाफ केवल स्थानीय तहसीलदार ने मामला दर्ज किया था.
कनक न्यूज के संपादक मनोरंजन मिश्रा ने बताया, ‘स्थानीय स्तर पर पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश की गई है. दलाई ने अवैध मादक पदार्थों की तस्करी सहित विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर रिपोर्टिंग की है, लिहाजा स्थानीय प्रशासन उनसे खार खाए बैठा है.
जांच के दिए गए हैं आदेश
कड़ी आलोचना का सामना कर रहे नीलगिरि थाने के प्रभारी निरीक्षक द्रौपदी दास ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि पत्रकार की टांग बंधी हुई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने इसके लिए आदेश जारी नहीं किए हैं. वहीं बालासोर जिले के पुलिस अधीक्षक सुधांशु शेखर मिश्रा ने बताया, “यह मुद्दा मेरे संज्ञान में आया है. मैंने मामले की जांच करने और रिपोर्ट जमा करने के लिए डीएसपी (पुलिस उपाधीक्षक) रैंक के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को प्रतिनियुक्त किया है. रिपोर्ट आने के बाद मैं कानून के मुताबिक कार्रवाई करूंगा.”
बालासोर के वरिष्ठ पत्रकार सिबदास कुंडू का कहना है, “शुरुआत में, दलाई को बिस्तर नहीं दिया गया था, लेकिन उनके पैर को लोहे के कफ में डाल दिया गया था. बाद में विरोध के बाद उन्हें बिस्तर दिया गया. हम पुलिस के इस व्यवहार की निंदा करते हैं.”