लखन्ऊ मंडल उत्तर रेलवे में एक और घोटाला रेलवे के अधिकारी कुंभ कर्णी नींद में रेलवे की सतर्कता विभाग की भूमिका संदिग्ध
लखनऊ / उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में एक और घोटाला हो रहा है जिसमें अधिकारी यूनियन गठजोंङ बना मिसाल। देखिए रेल मंत्री एवं प्रधान मंत्री जी रेल मंत्रालय के सारे नियम कानून इन भ्रष्टाचारियों के आगे मृग मारीचिका साबित हो चुका है।
रेलवे के एक अधिकृत सूत्र ने बताया है कि लखनऊ मंडल में खुलेआम लोको इंस्पेक्टर जो डी आर एम आफिस या आलमबाग डीजल शेड में लगे हैं 120 किमी
रोजाना माईलेज चार्ज कर रहे हैं और ये सब दिन भर दारुल सफा में बैठकर दारु पीते हैं और हजरगंज घूमते हैं। गजब के हैं मंडल कार्यालय के मैकेनिकल विभाग के अधिकारी जो मंडल रेल प्रबंधक जो काफी तेज तर्रार एवं ईमानदार छवि के साथ -साथ भ्रष्टाचारियों के आंखों में किर किरी बने हुए हैं ,को गुमराह करने में सक्रिय हो गये हैं।
ज्ञात हो कि मंडल रेल प्रबंधक एस. के .सपरा जी यहां सी डीएन्ई एंव अपर मंडल रेल प्रबंधक के पद पर रह चुके हैं जिनकी कङक मिजाज के चलते भ्रष्ट अधिकारियों एवं यूनियन के नेताओं में नींद हराम हो चुकी है और तरह -तरह से बदनाम करने में लगे हुए हैं।
रेलवे के जानकार सूत्र ने बताया कि रेलवे बोर्ड- PS -14600/137 के पेज संख्या -5 पर अंकित है कि यह माईलेज भत्ता केवल CCC. C PRC. या CTLC को ही आफिस में कार्य करने के लिए 120 किमी0 माईलेज भत्ता दिया जायेगा। लेकिन लखनऊ मंडल में जितने भी लोको निरीक्षक आफिसों में कार्यरत हैं जैसे CLI टेन्डर, CLI बिल, CLI प्लानिंग, CLI -HRMS.लोको इंचार्ज इत्यादि प्रत्येक माह लगभग 18000 रुपये का चूना लगा रहे हैं और साथ ही साथ इन लोगों को रात्रि डियूटी भत्ता, राष्ट्रीय अवकाश भत्ता का भुगतान भी किया जा रहा है।
जानकार सूत्र ने बताया कि कुछ चर्चित नाम अजय कुमार गौंङ, ओम प्रकाश, साधूशरण, प्रेम चंद्र प्रसाद, रतन कुमार, यू एसपी, सुरेन्द्र मिश्रा आदि लगभग दर्जनों लोको निरीक्षक रेलवे को चूना लगाने में लगे हैं।
सबसे मजे की बात तो ये है कि ये सब यूनियनों के दफ्तर में बैठकर भाजपा सरकार को कोसते रहते हैं।उन्होंने बताया कि जब कोई रेल चालक से लोको निरीक्षक बनता है तो उसको 30% अलग से वेतन में जोङकर निर्धारण किया जाता है। फिर ये माईलेज के नाम पर 120 X 5.30=636=00 रुपये प्रतिदिन आफिस में बैठ कर भुगतान ले रहे हैं और टेन्डर जैसे कमाऊं सीट पर लाखों रुपया प्रतिमाह कमीशन अलग से ले रहे हैं।
इसके बाद रिटायरमेंट पर भी बेसिक पे में भी 30% का लाभ मिलता है ये कौन सा नियम है जो अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार यूनियन को पूजा चढाकर ऐसे -ऐसे लोग लोको निरीक्षक बन गये हैं कि कभी ये सब ट्रेन संचालन किये ही नहीं हैं। और गजब की है रेलवे विजिलेंस आफिस में बैठकर लाखों रुपये प्रति माह वेतन आहरण कर रही है और कभी भी ये विजिलेंस वाले छापा नहीं डालते बल्कि उल्टे मोटी रकम प्रति माह वसूलने आते हैं।
सबसे मजे की बात तो ये है कि यांत्रिक विभाग में जो भी टेन्डर होते हैं सभी में लोको निरीक्षक एंव विजिलेंस को कमीशन अलग से मिलता है और जो ठेकेदार नहीं देता तो उसका टेन्डर निरस्त कर दिया जाता है।